अखंड और धर्मनिरपेक्ष भारत के पक्षधर थे “आजाद” भारत के पहले शिक्षा मंत्री
मौलाना अबुल कलाम आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक देश की शिक्षा नीति का संचालन किया है। मौलाना आजाद को ही ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ यानी ‘IIT’ तथा ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति के विकास के लिए उत्कृष्टता के संस्थानों का निर्माण किया।
- संगीत नाटक अकादमी (1953)
- साहित्य अकादमी (1954)
- ललित कला अकादमी (1954)
बतौर केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष उन्होने सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का पूरा नाम सैय्यद गुलाम मुहीउद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल हुसैनी है। अरबी, बंगाली, हिंदुस्तानी, फारसी और अंग्रेजी में पारंगत थे।
आजाद बचपन से ही पत्रकारिता और राजनीति की ओर आकर्षित थे। 35 वर्ष की आयु में, वह 1923 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के के सबसे कम उम्र केअध्यक्ष बने।
आजाद पाकिस्तान के निर्माण का विरोध करने वाले सबसे प्रमुख मुस्लिम नेता बन गए।
मौलाना अबुल कलाम अखंड और धर्मनिरपेक्ष भारत के पक्षधर थे। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
1992 में, महान नेता को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। आजाद ने 22 फरवरी 1956 को अंतिम सांस ली।