वाराणसी। संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के पाणिनी भवन सभागार में “तेरहवें राष्ट्रीय मतदाता दिवस” के अवसर पर कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बतौर अध्यक्ष व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस का प्रयोजन विश्व में भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान को लेकर कम होते रुझान को देखते हुए मनाया जाने लगा था। इसके मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य था कि देश भर के सभी मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में हर साल उन सभी मतदाताओं की पहचान की जाएगी, जिनकी उम्र एक जनवरी को 18 साल हो चुकी होगी।
उक्त जानकारी देते हुए शशींद्र मिश्र जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि यह संस्था संस्कृत-संस्कृति एवं संस्कार के त्रिवेणी का संगम स्थल है, यहाँ के सभी अध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्रों ने सदैव समन्वय स्थापित कर आपने संस्था के अभिवृद्धि में सभी कार्यो को आगे बढ़ाया है, सभी लोग मिलकर आईआईटी की तरह अच्छे छात्रों का प्रवेश कराकर संस्था के कीर्ति गौरव को आगे बढ़ाएँ। यहां के विद्यार्थी सम्पूर्ण भारत देश के संस्कृत विश्वविद्यालयों मे विभिन्न रूप मे सेवा दे रहें।
बतादें कि मतदाता दिवस का आयोजन 25 जनवरी 2011 से शुरू हुआ था। इस दिन तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का शुभारंभ किया, इससे पहले यह दिन अस्तित्व में नहीं था, लोगों को लोकतंत्र में अपने अधिकार के प्रति जागरुक करने के लिये ही “राष्ट्रीय मतदाता दिवस” मनाया जाता है।
संयोजक, समन्वयक
राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रो. दिनेश कुमार गर्ग ने कहा कि इसकी एक थीम होती है। इस दिन सरकार मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाती है, खासकर जो मतदाता पहली बार करते हैं।
कुलसचिव का विचार
कुलसचिव केशलाल ने मतदाता के अधिकार एवं मतदान करने के प्रति जागरुक करने के विचारों को साझा करते हुये कहा कि इसके माध्यम से 18 वर्ष मे ही हमे अपने देश के जनप्रतिनिधियों के चयन करने का अधिकार प्राप्त है, सदैव हमे राष्ट्रीय भाव से अपने मत का प्रयोग करना चाहिये।
कुलपति के साथ सामूहिक शपथ*- कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित लोगों ने “हम भारत के नागरिक लोकतंत्र मे आस्था रखते हुये यह शपथ लिया कि सदैव लोकतांत्रिक परम्पराओं के मर्यादा को बनाये रखेंगे तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शान्तिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए, सदैव निर्भिक होकर धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा एवं अन्य किसी प्रलोभनों से प्रभावित हुये बिना सभी निर्वाचनो में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे” साथ ही विश्वविद्यालय परिवार के लोगों द्वारा सामूहिक राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
उक्त अवसर पर कुलसचिव केशलाल, निदेशक/परीक्षा नियंत्रक डॉ. पद्माकर मिश्र, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. हरिशंकर पांडेय, प्रो. रामपूजन पांडेय, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. सुधाकर मिश्र, एनएसएस समन्वयक प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, प्रो. हीरककान्ति चक्रवर्ती, प्रो. अमित कुमार शुक्ल, प्रो. विजय कुमार पांडेय, प्रो. महेंद्र पान्डेय, यदुनाथ त्रिपाठी, एनएसएस और एनसीसी के छात्र-छात्राएँ एवं अन्य विद्यार्थी उपस्थित थे।