मध्य प्रदेश परिवहन विभाग सीधी में घटित बस त्रासदी के लिए अपनी ज़िम्मेदारी नहीं बचा सकता है। सीधी बस हादसा में 51 लोगों की मौत हुई और कई लापता है।प्रकाशित खबरों के अनुसार जो बस नहर मेँ समा गई वह32 सीटर थी और उसमें सवारी 62 थी। घटना के बाद निकले गए शवों के पोस्त्मर्टम के लिए चिकित्सक की कमी पड़ गई।
ड्राइवर समेत 62 लोगों के साथ बस सीधी से सतना जा रही थी तभी 22 फीट गहरी बाणसागर नहर में गिर गई। जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई। 7 लोगों की जान बच गई, जबकि 4 लोग अभी भी लापता हैं।बस मेँ ज्यादातर सवारी सीधी और सिंगरौली जिले के रहने वाले थे। 12 लड़के-लड़कियां रेलवे और नर्सिंग की परीक्षा देने सतना और वहां से रीवा जाने के लिए बस में सवार हुए थे।
विभाग मे व्यवस्था चरमराई हुई है, क्योंकि बिचौलिए राज्य भर के सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में हर काम करवाते हैं।हालांकि राज्य सरकार ने बिचौलिये की व्यवस्था को बंद कर दिया है, लेकिन क्षेत्रीय आरटीओ कार्यालयों में बिचौलिए का ही चल रहा है।
एक बिचौलिए की हथेलियों को चिकना करके कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है, जिसके माध्यम से किसी बस की फिटनेस की जाँच की जाती है।इसलिए, वे उन बसों को फिटनेस प्रमाण पत्र देते हैं जो चलाने के लिए अयोग्य हैं। बिचौलिए को आरटीओ दफ़्तर के बाहर चौबीसों घंटे देखा जाता है।
आरटीओ कार्यालय से संबंधित सभी काम जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का पंजीकरण और अन्य चीजों से संबंधित कार्य बिचौलियों के माध्यम से किए जा रहे हैं।ऐसा लगता है आरटीओ कार्यालय में कोई भी आम आदमी पर ध्यान नहीं देता है।और परिवहन विभाग चेकिंग के नाम पर जबरन वसूली में व्यस्त रहता है।तभी तो विचौलिए अपना मनचाहा काम करा लेता है।ऐसे लापरवाही का परिणाम सीधी मेँ घटित त्रासदी के रूप मेँ सामने आता है।यह बस हादसा भ्रष्टतम व्यवस्था का भयावह रूप नहीं तो और क्या है?
ज़िम्मेदार सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की होती है लेकिन जब विभाग में हर काम बिचौलिये के माध्यम से होगा तो क्या बिचौलिया ज़िम्मेदारी लेगा? बिचौलिया कमीशनखोर होता है जिम्मेदार नहीं? चंद लोगों के निलंबन से दीमक लगी व्यवस्था परिवर्तन नहीं होगा। इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा।आरटीओ दफ्तरों का निरीक्षण समय समय पर परिवहन मंत्री और आयुक्त द्वारा भी किया जाना चाहिए ताकि विभाग मेँ जिम्मेदार, जिम्मेदार बने रहें। होना तो बहुत कुछ चाहिए,लेकिन हो तब न।