hindi kavita
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कौन अपना, कौन पराया, मुझे इससे कोई फर्क नहीं।
मैं कब हारा मैं कब जीता मुझे इससे कोई फर्क नहीं। कौन अपना कौन पराया मुझे इससे कोई फर्क नहीं।…
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बदलते रंग ….. नफ़रत के बदलते नए-नए रंग (हिन्दी कविता)
बदलते हुए रंगों के साथ बदलते हुए अपने लोग देखे हैं। चेहरे पर नकाब ओढ़े सीने पर वार करते अपने…
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