Atal Bihari Vajpayee : मैं पत्रकार होना चाहता था, बन गया प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी राजनेता बनने से पहले एक पत्रकार थे। वह देश-समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा से पत्रकारिता में आए थे। लेकिन देश-समाज के लिए कार्य करते करते वह राजनीति में आए और तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार साल 1996 में वे भारत के प्रधानमंत्री बने थे।उनका पहला कार्यकाल 13 दिनों का और दूसरा कार्यकाल 13 महीने का था। 1999 में जब वह प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने 2004 तक पांच साल का अपना कार्यकाल किया।विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
25 दिसंबर 1924 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में एक स्कूल टीचर के घर में हुआ था। एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई थी। उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों-पत्रिकाओं का संपादन किया।
वे बचपन से ही देश-समाज के लिए कुछ करने की भावना उनके अंदर कूट कूट कर भरा था। इसके लिए उन्हें पत्रकारिता सबसे बेहतर रास्ता समझ आया और वे पत्रकार बन गए। उनके पत्रकार से राजनेता बनने का जो जीवन में टर्निंग पॉइंटआया, वह एक महत्वपूर्ण और यादगार वाकया है। जिसके बारे में खुद अटल बिहारी ने वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह को दिए साक्षात्कार में बताया था।
तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिक सिद्धांतों का पालन करने वाले नेता रहे। राजनीति में शुचिता के सवाल पर एक बार उन्होंने कहा था कि मैं 40 साल से इस सदन का सदस्य हूं, सदस्यों ने मेरा व्यवहार देखा, मेरा आचरण देखा, लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।
सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगा-बिगड़ेंगी पर यह देश रहना चाहिए..लोकतंत्र अमर रहना चाहिए…
जब कभी आवश्यकता पड़ी, संकटों के निराकण में हमने उस समय की सरकार की मदद की है, उस समय के प्रधानमंत्री नरसिंह राव जी ने मुझे विरोधी दल के रूप में जेनेवा भेजा था। पाकिस्तानी मुझे देखकर चकित रह गए थे? वो सोच रहे थे ये कहां से आ गया? क्योंकि उनके यहां विरोधी दल का नेता राष्ट्रीय कार्य में सहयोग देने के लिए तैयार नहीं होता। वह हर जगह अपनी सरकार को गिराने के काम में लगा रहता है, यह हमारी प्रकृति नहीं है, यह हमारी परंपरा नहीं है। मैं चाहता हूं यह परंपरा बनी रहे, यह प्रकृति बनी रहे, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगा-बिगड़ेंगी पर यह देश रहना चाहिए…इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए…
मैं पत्रकार होना चाहता था, बन गया प्रधानमंत्री
अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से करने वाले वाजपेयी का पत्रकारों को लेकर बहुत सरल व्यवहार रहा। उन्होंने एक बार पत्रकारों से कहा था-‘मैं पत्रकार होना चाहता था, बन गया प्रधानमंत्री, आजकल पत्रकार मेरी हालत खराब कर रहे हैं, मैं बुरा नहीं मानता हूं, क्योंकि मैं पहले यह कर चुका हूं….’
मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आजीवन अविवाहित रहे। शादी न करने के सवाल पर वह अक्सर मुस्कुरा दिया करते थे, लेकिन एक बार उन्होंने ऐसा जवाब दिया के सबको दंग कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सवाल पूछा गया कि आप अब तक कुंवारे क्यों हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होने कहा था कि ‘मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।’वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी.एन.कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया।