Defaulter MP University List : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर देशभर के 421 विश्वविद्यालयों को डिफॉल्ट घोषित कर दिया है। इसमें मध्य प्रदेश के 18 विश्वविद्यालय शामिल हैं। हम आपको बता दें कि यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों में लोकपाल नियुक्त करने के निर्देश जारी किये थे। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने लापरवाही बरती और लोकपाल की नियुक्ति नहीं की गयी। इस कारण उसे डिफॉल्टर श्रेणी में रखा गया है। इस लिस्ट में एशिया का पहला और प्रदेश का सबसे बड़ा पत्रकारिता विश्वविद्यालय भी शामिल है
Defaulter MP University List
मप्र के ये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा डिफॉल्ट घोषित विश्वविद्यालयों में शामिल हैं।
- अवेधश प्रताप सिंह विवि – रीवा,
- पंडित एसएन शुक्ल विवि – शहडोल,
- महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि – चित्रकूट,
- संगीत एवं कला विवि – ग्वालियर,
- पशु चिकित्सा विज्ञान विवि – जबलपुर,
- मप्र चिकित्सा विज्ञान विवि – जबलपुर,
- कृषि विश्वविद्यालय – जबलपुर,
- विधि विश्वविद्यालय – जबलपुर,
- रानी दुर्गावती विवि – जबलपुर,
- पत्रकारिता एवं संचार विवि – भोपाल,
- हिन्दी विश्वविद्यालय – भोपाल,
- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि – भोपाल,
- संस्कृत एवं वैदिक विवि – उज्जैन,
- छत्रसाल बुंदेलखंड विवि – छतरपुर,
- जीवाजी विश्वविद्यालय – ग्वालियर,
- सामाजिक विज्ञान विवि – इंदौर,
- राजा शंकरशाह विवि – छिंदवाड़ा,
- सांची विश्वविद्यालय – रायसेन
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी देशभर के विश्वविद्यालयों की गतिविधियों और प्रबंधन पर नजर रखता है। हाल ही में यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों में 30 दिन के भीतर लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश जारी किया था। लोकपाल की नियुक्ति की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2023 रखी गयी थी, लेकिन इस तिथि तक किसी भी लोकपाल की नियुक्ति नहीं की गयी और प्रबंधन के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जिसके चलते यूजीसी ने उन्हें डिफॉल्ट घोषित कर दिया।
रीवा APSU University प्रबंधन ने सफाई दी
इस संबंध में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलसचिव डॉ. सुरेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि 14 जून 2023 को यूजीसी के निर्देश पर मध्य प्रदेश शासन से अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को पत्र मिला था। जारी पत्र के मुताबिक एक महीने के अंदर लोकपाल यूनिवर्सिटी में लोकपाल की नियुक्ति होनी थी। यूजीसी के अनुसार, शिकायतों के निवारण के लिए विश्वविद्यालय में एक लोकपाल नियुक्त करने का प्रावधान है। लेकिन इस एक माह की अवधि में एक भी आवेदन नहीं आया, जबकि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पहली बार 4 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन दिया था। सरकार द्वारा जारी लोकपाल पदों के लिए पात्रता मानदंड सेवानिवृत्त प्रोफेसर, सेवानिवृत्त कुलपति और सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश थे। आवेदन पत्र प्राप्त नहीं हुआ जिसके कारण निर्धारित तिथि पर लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकी।