नई शिक्षा नीति : 5वीं तक मातृभाषा में पढ़ाई, आधी पढ़ाई नहीं जाएगी बेकार
34 साल बाद भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। कई बड़े बदलाव किए गए हैं।शिक्षा नीति में बदलाव को लेकर इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि 1986 में नेशनल पॉलिसी ऑन एजुकेशन (एनपीई) को लाया गया था। जिसके बाद 1992 में इसमें थोड़ा संशोधन किया गया. इसके बाद सरकार ने दो कमेटी बनाईं, जिसमें साल 2016 में टीएसआर सुब्रमण्यम कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिक रह चुके डॉक्टर के कस्तूरीरंगन कमेटी की रिपोर्ट 31 मई 2019 में मिली। अब आखिरकार शिक्षा नीति में बदलाव किया जा रहा है।
- अब रिसर्च के लिए उच्च शिक्षा में अलग व्यवस्था की गई है। साथ ही प्रोफेशनल कोर्सेज के छात्र अपनी पसंद के मुताबिक माइनर सब्जेक्ट का चयन कर सकेंगे।
- तीन साल डिग्री के साथ एक साल एमए करके एमफील करने की जरूरत नहीं होगी।
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।
- प्राइमरी एजुकेशन के बारे में बात करें तो 5वीं तक की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा या मातृभाषा में ही कराई जाएगी।
- बोर्ड एग्जाम को नॉलेज बेस्ड बनाया जाएगा। हालांकि नॉलेज बेस्ड से क्या मतलब है इस पर अभी सफाई की जरूरत है।
जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य तैयार किया गया है। फिलहाल भारत की जीडीपी का 4.43% हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है।
बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों का नहीं होगा नुकसान
2035 तक 50 फीसदी ग्रॉस इनरॉल्मेंट रेशियो तक पहुंचने के लिए नई होलिस्टिक एजुकेशन की नई व्यवस्था लाई जा रही है। जिसका सबसे बड़ा अंग है मल्टीपल एंट्री और एग्जिट।
आज अगर 4 सेमेस्टर या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद मैं किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ सकता हूं तो मैं आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता हूं। लेकिन अब मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में अब एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन या चार साल के बाद डिग्री दी जाएगी।
आधी पढ़ाई नहीं जाएगी बेकार
इसके अलावा मल्टीपल एंट्री में जैसे बैंक का सेविंग अकाउंट होता है, वैसे ही डिजी लॉकर की मदद से फर्स्ट एयर और सेकेंड एयर के क्रेडिट जमा रहेंगे। यानी अगर तीसरे साल में आप किसी कारण से ब्रेक लेना चाहते हैं और एक तय समयसीमा पर वापस आते हैं तो आपको फर्स्ट ईयर की बजाय सीधे थर्ड ईयर में एडमिशन मिलेगा। क्योंकि अकेडमिक क्रेडिट बैंक में पहले से ही आपके क्रेडिट मौजूद होंगे।
इंजीनियरिंग के साथ सीख सकते हैं म्यूजिक
मल्टीपल डिसिप्लनरी एजुकेशन में अब आप किसी एक स्ट्रीम के अलावा दूसरा सब्जेक्ट भी ले सकते हैं। यानी अगर आप फिजिक्स ऑनर्स करते हैं तो आप सिर्फ केमिस्ट्री, मैथेमेटिक्स, जूलॉजी या बॉटनी ले सकते हैं, उसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी। लेकिन अब मेजर प्रोग्राम के अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं। इससे उन्हें फायदा होगा, जो ड्रॉपआउट हो जाते हैं. वहीं कई दूसरे विषयों में रुचि रखने वालों के लिए भी ये फायदेमंद होगा।
ग्रेडेड ऑटोनमी
देश में एफिलिएटेड कॉलेजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। किसी-किसी यूनिवर्सिटी में तो ये संख्या 800 तक पहुंच चुकी है। जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आती है।अब ग्रेडेड ऑटोनमी की व्यवस्था से ग्रेडिंग सिस्टम के हिसाब से होगी।यानी जिसकी ग्रेड A+ होगी उन्हें ज्यादा कॉलेज मिलेंगे. वहीं इसी तरह बाकी ग्रेड्स को भी ऑटोनमी मिलेगी।