भारतीय सभ्यता मे कपड़ों की जितनी विविधताएं और शैली मौजूद हैं, उतनी वैराइटी शायद ही किसी सभ्यता मे हो। जब भी पारंपरिक भारतीय परिधान की बात आती है, तो सबसे पहला नाम साड़ी का आता है। साड़ी भारतीय परंपरा और सुंदरता का सदाबहार प्रतीक है। हमारे देश मे साड़ियों की एक विशाल श्रृंखला है। जैसे सिल्क, पटोला, बनारसी, काँजीवरम और पैठनी कुछ गिने चुने नाम हैं। इन सबके बीच हर महिला के दिल में कांजीवरम और बनारसी साड़ियों ने एक खास जगह बनाई है। ये दोनों साड़ियाँ भारत में सबसे ज़्यादा पसंद की जाती हैं। आइए जाने, क्या फ़र्क है बनारसी और कांजीवरम साड़ियों के बीच ?
कांजीवरम साड़ी (Kanjivaram Saree)
- कांजीवरम साड़ियाँ तमिलनाडु के शहर कांचीपुरम से आती हैं।
- ये साड़ियाँ अपने समृद्ध रेशम और आलीशान ज़री के काम के लिए फेमस हैं, जो दक्षिण भारत मे मिलती हैं।
- कांजीवरम साड़ीयों को बनाते समय मजबूती का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसलिए इनकी बुनाई हाथ से की जाती है, और इसके लिए शुद्ध शहतूत के रेशम का प्रयोग किया जाता है, जो अपने टिकाऊपन और प्राकृतिक चमक के लिए जानी जाती है। कांजीवरम साड़ीयों को बनाते समय बॉडी और बॉर्डर को अलग-अलग बुना जाता है और फिर आपस में जोड़ा जाता है, जिससे वे मजबूत हो जाते हैं।
- कांजीवरम साड़ीयों मे अक्सर मोर, तोते, चेक और मंदिर से प्रेरित डिज़ाइन होते हैं। इनका बॉर्डर भी काफ़ी बोल्ड और कन्ट्रैस्टिंग होता हैं।
- कांजीवरम साड़ियाँ मोटे रेशम और जटिल ज़री के काम के कारण काफ़ी वजनी होती हैं, इसलिए इन्हें अक्सर शादियों और विशेष अवसरों मे राजसी और शानदार लुक पाने के लिए पसंद किया जाता है।
- कांजीवरम साड़ियाँ दक्षिण भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, जहाँ उनकी पारंपरिक दक्षिण भारतीय रेशम बुनाई और सांस्कृतिक महत्व के लिए उनकी बहुत सराहना की जाती है।
बनारसी साड़ी (Banarasi Saree)
- बनारसी साड़ियाँ उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर वाराणसी में तैयार की जाती हैं।
- बनारसी साड़ियों को बनाने के लिए मुख्य रूप से महीन रेशम के धागों का उपयोग किया जाता है, जो भारत के उत्तरी क्षेत्र से प्राप्त होती है। इसी वजह से इनकी बनावट नाजुक और चिकनी होती है।
- बनारसी साड़ियाँ ब्रोकेड तकनीक का उपयोग करके तैयार की जाती हैं, इसलिए ये अपने जटिल ब्रोकेड काम के लिए जानी जाती हैं।
- बनारसी साड़ियों मे मुगल कला की छाप साफ नजर आती है। ये फूल, पत्ते, पैस्ले, जटिल पैटर्न और भारी सोने और चांदी की ज़री के काम से सजी होती हैं, जो मुगल कला से प्रेरित हैं। इसका डिज़ाइन इनकी बेहद पेचीदा और नाजुक खूबसूरती को बयां है।
- बनारसी साड़ियाँ कांजीवरम साड़ीयों की तुलना मे हल्की होती हैं, जो उन्हें लंबे समय तक पहनने के लिए आरामदायक बनाती हैं, खासकर किसी जश्न या त्यौहार के माहौल में।
- बनारसी साड़ियों को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में मान्यता और प्रशंसा हासिल है , जो उसे हर उम्र और बैकग्राउंड की महिलाओं के बीच एक पसंदीदा विकल्प बनाती है।