
Employees Provident Fund Organisation Update 2k23 : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने निजी क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के मूल वेतन पर 15000 रुपये की सीमा तय की है और इसकी गणना EPFO Pension के आधार पर की जाती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह सीमा हटा दी जाएगी और पेंशन की गणना 15,000 रुपये के बजाय 20,000 रुपये की जाएगी। अगर ऐसा है तो कर्मचारियों की मासिक पेंशन में कम से कम 8500 रुपये की बढ़ोतरी की जा सकती है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अनुसार, जिन कर्मचारियों ने रोजगार के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना के तहत उच्च वेतन का योगदान दिया है और सेवानिवृत्ति से पहले उच्च पेंशन का विकल्प चुना है, वे इस लाभ का लाभ उठा सकते हैं। EPFO ने कहा कि 5000 रुपये या 6500 रुपये से अधिक की वेतन सीमा से अधिक पेंशन पाने के लिए ईपीएस में योगदान करने वाले कर्मचारी ही इसके तहत लाभ के पात्र माने जाएंगे।
यह नया नियम है
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 15000 रुपये की सीमा निर्धारित की है, भले ही किसी कर्मचारी का वेतन 15000 रुपये से अधिक हो, पीएफ की गणना 15000 रुपये के वेतन पर ही की जाएगी। अगर किसी कर्मचारी का मूल वेतन 50,000 रुपये है और वह अपनी 50,000 रुपये की पेंशन की गणना करना चाहता है, तो वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि EPFO से 15,000 रुपये की सीमा है।
EPFO Pension में हुई बढ़ोत्तरी
कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना 1 सितंबर 2014 को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई थी। उस समय निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने इसका विरोध किया था। इस संबंध में कर्मचारी भविष्य निधि निगम ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया। एक अप्रैल 2019 को ईपीएफओ की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए कहा गया था कि जो कर्मचारी अपने वास्तविक वेतन के आधार पर अंशदान कर रहे हैं वे सामूहिक विकल्प के तौर पर अपनी कंपनी में जमा कर रहे हैं।
Employees Provident Fund Organisation Update 2k23
कर्मचारी पेंशन पुनरीक्षण योजना केंद्र सरकार द्वारा 1 सितंबर 2014 को एक अधिसूचना के माध्यम से लागू की गई थी। इसका निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने विरोध किया। कर्मचारी भविष्य निधि ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया है। एक अप्रैल 2019 को ईपीएफओ की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए कहा गया था कि कर्मचारी अपने वास्तविक वेतन के आधार पर योगदान दे रहे हैं, वे अपनी कंपनी के साथ संयुक्त विकल्प के तौर पर जमा कर रहे हैं. वे बिना औचित्य के पेंशन योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। पेंशन वेतन 15 हजार रुपए तय करने का कोई औचित्य नहीं है, जिस पर सुनवाई चल रही है। इस मामले पर 17 अगस्त से लगातार सुनवाई हो रही है और मामला अब भी लंबित है।
इससे आपकी पेंशन बढ़ेगी
मान लीजिए किसी कर्मचारी का भविष्य निधि वेतन (मूल वेतन + डीए) 20,000 रुपये है। पेंशन फॉर्मूले के मुताबिक पेंशन 7,500 रुपये की जगह 8,571 रुपये होगी। आप ईपीएस गणना सूत्र की जांच कर सकते हैं! = मासिक पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन x ईपीएस अंशदान) अर्थात पेंशन में 300% प्रत्यक्ष वृद्धि।
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हालांकि, यह विकल्प केवल उन कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होगा जो 31 अगस्त 2014 को कर्मचारी भविष्य निधि के सदस्य थे। और जिन्होंने EPS के तहत उच्च पेंशन का विकल्प नहीं चुना है। EPFO ने दिशा-निर्देशों के अनुसार सदस्यों को EPS दिया है। पेंशन योग्य वेतन की सीमा प्रति माह 15,000 रुपये से अधिक की अनुमति है।
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अगर EPF सैलरी 15 हजार कर दी जाए तो इसी फॉर्मूले पर पेंशन 7500 रुपए प्रतिमाह कर दी जाती है। यानी 35 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर मासिक पेंशन 7,500 रुपये होगी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 60 महीने की सेवा के औसत वेतन को पेंशन योग्य वेतन मानते हुए अपने EPFO फॉर्मूले में बदलाव किया। भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation) को बहुत जल्द खुशखबरी मिलने वाली है।