भोपाल।।वर्ष 1925 में हुए काकोरी कांड के बाद इन चारों शहीदों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। श्री राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को 17 दिसम्बर 1927 को और सर्वश्री अश्फाकुल्ला खान, रोशन सिंह और पं. राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसम्बर 1927 को फांसी दी गई थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने काकोरी कांड के चार शहीदों को नमन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास कार्यालय सभाकक्ष में शहीद सर्वश्री राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, अश्फाकुल्ला खान, रोशन सिंह और पं. राम प्रसाद बिस्मिल के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चारों राष्ट्रप्रेमी मित्रों ने स्वतंत्रता और स्वाभिमान की चाह में अपने जीवन का बलिदान किया।भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में काकोरी कांड की अहम् भूमिका थी। इस घटना के बाद देश में क्रांतिकारियों के प्रति आमजन का नजरिया परिवर्तित होने लगा था और क्रांतिकारी पहले से ज्यादा लोकप्रिय होने लगे थे। इन चारों बलिदानियों के बलिदान से युवाओं को देशभक्ति की प्रेरणा मिली।
काकोरी कांड का ऐतिहासिक मुकदमा लगभग10महीने तक लखनऊ की अदालत रिंग थियेटर में चला (आजकल इस भवन में लखनऊ का प्रधान डाकघर है।)। इस पर सरकार का 10 लाख रुपये खर्च हुआ। छह अप्रैल 1927 को इस मुकदमे का फैसला हुआ जिसमें जज हेमिल्टन ने धारा 121अ, 120ब, और 396 के तहत क्रांतिकारियों को सजाएं सुनाईं। इस मुकदमे में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई।
मालिक तेरी रजा रहे और तू ही रहे,
बाकी न मैं रहूं, न मेरी आरजू रहे।
जब तक कि तन में जान, रगों में लहू रहे
तेरा हो जिक्र या, तेरी ही जुस्तजू रहे।।