भगत सिंह ने महज 23 साल की उम्र में देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को मुस्कुराकर गले लगा लिया थी। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब प्रांत में हुआ था। ये हिस्सा अब बंटवारे के बाद पाकिस्तान में पड़ता है।
भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन चंद्र था। वह पांच भाई थे। सबसे बड़े सरदार भगत सिंह थे। दूसरे नंबर के सरदार राजेन्द्र सिंह, तीसरे सरदार कुलतार सिंह, फिर राजवीर सिंह और कुलवीर सिंह थे।
उनकी तीन बहनें थीं। सबसे बड़ीं बीबी अमर कौर, उसके बाद बीबी प्रकाश कौर और फिर शकुंतला थीं। सहारनपुर में रह रहे भगत सिंह के भतीजे सरदार किरणजीत सिंह बताते हैं कि महान क्रांतिकारी भगत सिंह के लहू में क्रांति थी। उनके पिता और चाचा तो क्रांतिकारी थे ही। इसका असर संतानों में भी दिखाई दिया। जब तक देश आजाद हुआ, तब तक परिवार का कोई न कोई व्यक्ति जेल में ही रहा।
शहीद-ए- आजम भगत सिंह के अनमोल विचार
”वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचल नहीं पाएंगे”
-”मेरा धर्म मेरे देश की सेवा करना है।”
”जिंदा रहने की हसरत मेरी भी है लेकिन मैं कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता।”
“मैं ऐसा पागल हूं कि जेल में भी आजाद हूं।”
भगत सिंह के नारे
”मैं महत्वाकांक्षा और आशा और जीवन के आकर्षण से भरा हूं। लेकिन जरूरत के समय मैं सब कुछ त्याग सकता हूं”
“बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं होती। क्रांति की तलवार विचारों के पत्थर पर तेज होती है”
“लोग स्थापित चीजों के आदी हो जाते हैं इसलिए परिवर्तन के विचार से कांपते हैं। इस सुस्ती की भावना को क्रांतिकारी भावना द्वारा प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है”
”मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी।”
”आज जो मै आगाज लिख रहा हूं, उसका अंजाम कल आएगा। मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।
Happy Daughters Day : इन संदेशों से के जरिए अपनी बेटियों को बताएं,वो हैं कितनी ख़ास