उपचार के नाम पर कोरोना मरीजों का शोषण नहीं होना चाहिए – हाई कोर्ट
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) (Indian Medical Association, IMA) और मध्य प्रदेश नर्सिग होम एसोसिएशन (MP Nursing Home Association) के सदस्यों से कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर वे उपचार के दौरान अत्यधिक शुल्क लेकर मरीजों का शोषण नहीं करें।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक (Chief Justice Mohammad Rafiq) और न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी (Justice Sanjay Dwivedi) की पीठ ने अपने आदेश में यह कहा।अदालत ने यह आदेश न्याय मित्र अधिवक्ता नमन नागरथ द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किया।
याचिका के जरिए अदालत से अनुरोध किया गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा 25 मार्च को दिए गए निर्देशों का सभी जिलों में कड़ाई से पालन करने के लिये निर्देश दिये जाए।
अदालत ने कोविड-19 मरीजों के इलाज से संबंधित दर-सूची का निर्धारण कर इसका प्रचार-प्रसार करने का सरकार को निर्देश दिया। अदालत ने कहा, कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते देश के सामने मौजूदा संकट के समय में उनके (एसोसिएशन) सदस्यों को मरीजों से अधिक दर वसूल कर उनका शोषण करने से बचना चाहिए।
उप महाअधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने बताया कि अदालत ने प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि आरटी-पीसीआर जांच, रैपिड एंटीजन टेस्ट और सीटी/एचआरसीटी स्कैन के लिये सरकार द्वारा निर्धारित दरों का व्यापक प्रचार किया जाए। आदेश में सरकार से तय दरों-शुल्कों से भी लोगों को अवगत कराने के लिये कहा गया है।