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MP के इस गांव में नवरात्रि में 9 दिनों तक होती है रावण की पूजा

MP के छिंदवाड़ा जिले के जमुनिया गांव में नवरात्रि के मौके पर एक तरफ भक्त मां दुर्गा की पूजा में लीन हैं तो दूसरी तरफ आदिवासी लोग रावण की पूजा में लीन हैं। यह गांव शहर से महज 16 किमी दूर है। यह अद्भुत नजारा टंकी मोहल्ला में देखने को मिलता है। यहां आदिवासी लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं। उनका कहना है कि वे रामायण के रावण की नहीं, बल्कि रावण पेन की पूजा करते हैं। जिन्हें वे अपने आराध्य भगवान शिव का परम भक्त मानते हैं।

पुजारी पंडित सुमित कुमार सल्लम ने कहा, ‘हमने जो मूर्ति स्थापित की है, वह रामायण के रावण की नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों द्वारा पूजित रावण पेन की मूर्ति है।’ हमारे पूर्वज कई वर्षों से इनकी पूजा करते आ रहे हैं। हमें किसी भी धर्म से कोई नफरत नहीं है। पंडाल में दुर्गा पूजा होती है, उसके बाद हम अपने पंडाल में स्मरणी करते हैं। हमारे आदिवासी समाज में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

MP के इस गांव में है रावण की प्राचीन मंदिर

आदिवासी बहुल इलाके में रावण को लेकर एक अलग ही मान्यता है. यहां के लोग रावण को विद्वान, प्रकांड पंडित और शिवभक्त मानते हैं। वहीं जिले के रावणवाड़ा गांव में रावण की प्राचीन मंदिर भी है। वह लंबे समय से रावण दहन पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए कई बार जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया जा चुका है। जिस तरह देवी दुर्गा प्रतिष्ठा के दौरान कलश रखे जाते हैं, उसी तरह रावण की मूर्ति के सामने भी पांच कलश रखे जाते हैं। जहां लोग 9 दिनों तक पूजा करने के बाद दशहरे पर मूर्ति विसर्जन करते हैं।

राकेश कुमार विश्वकर्मा

राकेश कुमार विश्वकर्मा

राकेश विश्वकर्मा को मीडिया के क्षेत्र में 5 वर्षों से अधिक का अनुभव है। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने पत्रकारिता के लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को 'वायरल' बनाने के साथ-साथ राजनीति और मनोरंजन जगत पर भी विशेषज्ञता हासिल की है।

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