देश में सामान नागरिक संहिता को लेकर लम्बे समय से बयान दिए जा रहे हैं। जिसे लेकर केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को सांसद भवन में प्रतिक्रिया देते हुए संसद को बताया कि समान नागरिक संहिता लागू करने पर कभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी बताया कि 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता से संबंधित मामले पर विचार कर सकता है।
सामान नागरिक संहिता को लेकर रीजीजू ने संसद में क्या कहा ?
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से अनुरोध किया था कि समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न विषयों का परीक्षण करें और उस पर अपना सुझाव दें। उन्होंने कहा कि 21वें विधि आयोग की अवधि 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गई। विधि आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार समान नागरिक संहिता से संबंधित मामला 22वें विधि आयोग द्वारा अपने विचार के लिए लिया जा सकेगा। अतः समान नागरिक संहिता लागू करने पर कभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वर्तमान विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को किया गया था, लेकिन पिछले साल नवम्बर में इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गई थी।
21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच की और व्यापक चर्चा के लिए अपनी वेबसाइट पर “परिवार कानून में सुधार” नामक एक परामर्श पत्र अपलोड किया गया। जिसमें समान नागरिक संहिता को लेकर वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों का भारतीय जनता पार्टी का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा, जो की वादों में शुमार था। समान नागरिक संहिता को उत्तराखंड और गुजरात जैसे भाजपा शासित कुछ राज्यों ने लागू करने की दिशा में कदम उठाया है।