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IND VS BHARAT: देशभर के राज्यों में इंडिया-भारत को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं, पढ़ें पूरी खबर

IND VS BHARAT : इंडिया बनाम भारत की बहस तब से शुरू हो गई है जब से भारतीय राष्ट्रपति ने G20 को निमंत्रण पत्र लिखा है। अगर हम संविधान को देखें तो इंडिया और भारत दोनों शब्द समान हैं, लेकिन हम संविधान की भाषा पर गौर करें तो भारत को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह इंडिया शब्द यानी भारत है। देश के नाम को लेकर गरमाई बहस में तरह-तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन देश की संस्कृति खासकर क्षेत्रीय भाषाओं पर नजर डालें तो उनके मूल में भारत ही है।

देश भर के राज्यों में भारत को भारत ही बोला जाता है

देशभर के ज्यादातर राज्यों में क्षेत्रीय भाषाओं और बोलचाल में देश के नाम के लिए भारत नाम का इस्तेमाल किया जाता है। असम में असमिया भारत या भारतवर्ष, कर्नाटक में भरत, महाराष्ट्र और गुजरात में भारत, तेलुगु में भारतदेशम और मलयालम में भारतम कहा जाता है। आम तौर पर इन राज्यों के निवासी जब संवाद करते हैं तो देश को इन नाम से संबोधित करते हैं और लिखते हैं। उत्तर भारत के हिंदी भाषी राज्यों में  भारत ही बोली जाती है।

भारत और इंडिया दोनों नाम हैं सहअस्तित्व

भारत और इंडिया के बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान विशेषज्ञ ज्ञाननाथ सिंह कहते हैं, संविधान में इंडिया और भारत दोनों शब्द अपनाए गए हैं इसलिए दोनों का प्रयोग समान रूप से किया जा सकता है। यदि हम संविधान में दिए गए संघ के नाम और क्षेत्रों की परिभाषा को देखें, तो अनुच्छेद 1 कहता है कि इंडिया दैट इज भारत होने के नाते, एक संघ राज्य भी होगा। यानी इंडिया जो भारत है, राज्यों का एक संघ होगा। इंडिया भारत का अनुवाद नहीं है। दोनों नाम भी हैं और सहअस्तित्व भी है।

भारत शब्द उपयोग के लिए किसी संवैधानिक संशोधन की नहीं है जरुरत

यदि सरकार किसी कार्यकारी आदेश में भारत का उपयोग करती है तो कोई संवैधानिक बाधा या संघर्ष नहीं है और कार्यकारी आदेश में भारत का उपयोग करने के लिए किसी संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता नहीं है। संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता तभी होगी जब सरकार यह घोषणा करेगी कि अब से देश का नाम केवल भारत लिखा जाएगा और इंडिया शब्द का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

देश में संविधान लागू होने और अपनाने के बिच महत्वपूर्ण तारीख क्या है ?

देश में 26 नवंबर 1949 को संविधान लागू हुआ और 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया, लेकिन इन दो तारीखों के अलावा भारतीय संविधान के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण तारीख 24 जनवरी 1950 है। इस दिन संविधान सभा के सदस्यों और राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान पर हस्ताक्षर किये थे। संविधान की अंग्रेजी और हिंदी दोनों प्रतियों पर एक साथ हस्ताक्षर किए गए थे। उस दिन हिंदी में अनुवादित संविधान की प्रति को राष्ट्रपति द्वारा सत्यापित और प्रमाणित भी किया गया था।

संविधान की तीन प्रतियां कैसी थी ?

संविधान की तीन प्रतियां हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत की गईं। एक अंग्रेजी में मूल हस्तलिखित प्रति थी जिसमें कलाकारों द्वारा बनाए गए चित्र भी शामिल थे, दूसरी प्रति अंग्रेजी में मुद्रित प्रति थी और तीसरी प्रति हिंदी में हस्तलिखित प्रति थी। उसी दिन सभी सदस्यों और अध्यक्ष ने मिलकर तीन प्रतियों पर हस्ताक्षर किये।

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