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Holi 2023 : जानिए 7 दिनों तक चलने वाले होली के त्योहार में पूजा विधि में कुछ गड़बड़ तो नहीं है

Holi 2023 : हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका की पूजा की जाती है। इस वर्ष 6 मार्च को  मघा नक्षत्र व सुकर्मा योग तथा बव करण एवं सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलिका पूजन का शुभ मुहूर्त रहेगा और होली के दिन प्रदोष काल में पूजन के समय वृश्चिकी भद्रा रहेगी।

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लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोष काल में होलिका की पूजन में भद्रा का दोषकाल नहीं माना जायेगा। इसलिए शास्त्रोक्त मान्यता अनुसार होलिका का पूजा  श्रेष्ठ रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को लेकर के निन्म मत हैं।

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होलिका पूजन पर दोष है ?

इसमें विशेष तौर पर दो प्रकार की भद्रा मानी जाती है। जिनमें शुक्ल पक्ष में आने वाली भद्रा को वृश्चिकी की संज्ञा दी गई है। कृष्ण पक्ष की भद्रा को सर्पिणी कहते है। इसी तरह मतांतर से दिन की भद्रा सर्पिणी और रात्रि की भद्रा वृश्चिकी मानी गई है। इस दृष्टिकोण से सर्प के मुख में विष रहता है अतः सर्पिणी भद्रा का मुख छोड़ देना चाहिए।

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इसी प्रकार वृश्चिकी बिच्छु की पूंछ में विष रहता है इसलिए वृश्चिकी भद्रा की शुरुआत अर्थात शाम के समय पूजन किया जा सकता है। वैसे भी शास्त्रीय मान्यता के अनुसार जब कोई विशेष अनुक्रम प्रदोष काल से ही संबद्ध हो तो उस समय उसको ग्राह्य कर लेना चाहिए। इस दृष्टि से प्रदोष काल में होलिका पूजन का कोई दोष नहीं है।

 7 दिन का होता है होलाष्टक

ज्योतिर्विद पं.हरिहर पंडया के अनुसार कुछ कैलेंडर में होलिका पूजन  7 मार्च  को है और उज्जैन के दिन-मान व पंचांग की गणना से उज्जैन में 6 मार्च को होलिका का पूजन होगा तथा 7 मार्च को ही होली मनाई जाएगी। यह होलाष्टक 8 दिन के होते हैं परंतु तिथि के घट-बढ़ कर कुछ घंटे बढ़ गए हैं जिसके कारण अष्टक 9 दिन का रहेगा। हालांकि यह स्थिति दो दशक में एक बार बनती ही है।

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होलाष्टक से दोष मुक्त मध्य प्रांत मालवा

मध्य प्रांत के मालवा में होलाष्टक का दोष मान्य नहीं है उसके कारण अलग-अलग प्रकार से ग्रंथ में बताए जाते हैं। उत्तर की ओर बहने वाली नदी तथा दक्षिण की ओर बहने वाली नदी का अपना-अपना गणित ज्ञान होता है। क्योंकि उत्तर वाहिनी शिप्रा का तट विशेष मान्य है। इसलिए अवंतिका तीर्थ पर होलाष्टक के 8 दिन का कोई दोष मान्य नहीं है। इस दौरान मांगलिक कार्य संपादित किए जा सकते हैं।

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