छत्तीसगढ़

पिता की मर्जी के खिलाफ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही बेटी भरण-पोषण की हकदार नहीं है”

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने पिता की मर्जी के खिलाफ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही बालिग बेटी को भरण-पोषण भत्ता देने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।हाई कोर्ट ने कहा कि “पिता की मर्जी के खिलाफ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही बेटी भरण-पोषण की हकदार नहीं है”

HC ने रायपुर फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें पिता से अलग रह रही बेटी को हर महीना 5 हजार रुपए देने का आदेश दिया गया था।

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पिता ने अपने आवेदन में कहा कि उनकी बेटी बेवजह परिवार से अलग रह रही है। लड़की बालिग होने के कारण वे उसे रोक भी नहीं पा रहे हैं। पिता ने कहा कि उनके और भी बच्चे हैं जो पढ़ रहे हैं। वह पेशे से ड्राइवर हैं और 38,000 रुपये मासिक वेतन पाते हैं। घर खर्च और बच्चों की पढ़ाई पर पैसा खर्च होता है। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों और तर्कों को ध्यान में रखते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया।

याचिका में पिता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान युवती प्रलोभन के चलते बिना कानूनी संबंध के एक युवक के साथ रह रही है। वे उसे अपने साथ रखना चाहते हैं, लेकिन बेटी उनके साथ नहीं रहना चाहती। लड़की किसी भी शारीरिक या मानसिक असामान्यता से पीड़ित नहीं है। वह भरण पोषण करने के लिए सक्षम है। इसलिए वह भरण-पोषण पाने का अधिकारी नहीं है।

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