सुपोषित मध्य प्रदेश 2030 नई पोषण नीति से मिटेगा कुपोषण का कलंक
देश में उच्चतम शिशु मृत्यु दर infant mortality rate (IMR) कलंक और पिछले कई वर्षों से मातृ मृत्यु दर maternal mortality rate (MMR) में शीर्ष 3 राज्यों में रहा है। यही कारण है की, मध्य प्रदेश सरकार ने अब एक नई पोषण नीति “सुपोषित मध्यप्रदेश 2030” पेश करने की योजना बनाई है।महिला और बाल कल्याण विभाग द्वारा तैयार की गई है।
नीति ने समुदाय को चार श्रेणियों में विभाजित करने का फैसला किया है। यह विभाजन बच्चे, माता, किशोर और वयस्क के रूप में किया गया है।और समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक श्रेणी के लिए एक व्यापक रणनीतिक कार्य योजना और लक्ष्य बनाते हैं।
सुपोषित चिल्ड्रन के तहत, ‘अंडर -5 बच्चों’ में कुपोषण के सभी रूपों को कम करने। 2030 तक आईएमआर को मौजूदा 56 से 25 प्रति 1,000 जीवित जन्मों तक लाने का लक्ष्य है।
एमएमआर को मौजूदा 173 से कम करने के लिए 70 से अधिक है,सुपोषित मदर कैटेगरी को उकेरा जाएगा। उनके लिए अलग से योजनाएं लागू की जाएंगी।
मप्र में बच्चों में प्रचलित एनीमिया की समस्या से निपटने के लिए सुपोषित किशोर वर्ग बनाया गया है। इस श्रेणी के माध्यम से, 2025 तक एनीमिया दर को वर्तमान 53.2% से 26.6% तक लाने की योजना है।
वयस्कों की एक अलग श्रेणी, सुपोषित वयस्क बनाया गया है।पोषण और मोटापा जैसी समस्याओं का ध्यान रखने के लिए उकेरा गया है।
सुपोषित मध्य प्रदेश 2030 बच्चों के पोषण हितों की सुरक्षा पर विशेष जोर
सुपोषित मध्य प्रदेश 2030,पोषण कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, विभाग ने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से जमीनी स्तर पर पोषण प्रशासन और निर्णय लेने की आवश्यकता पर बल दिया है।
सामुदायिक निगरानी और सामाजिक लेखा परीक्षा को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि कार्यक्रम को सभी स्तरों पर लागू किया जा सके। प्रवासी समूहों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, भूमिहीन मजदूरों और आगे सहित कमजोर समूहों के बच्चों के पोषण हितों की सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है।
पोषण मटका एवं पोषण वाटिका
पोषण अभियान के अन्तर्गत प्रत्येक आँगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण मटका रखा जायेगा। इन मटकों में सक्षम परिवारों के सहयोग से फल, सब्जी, अनाज आदि एकत्रित कर कमजोर बच्चों एवं महिलाओं के पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए इनका उपयोग किया जायेगा।
अभियान के तहत स्थानीय स्तर पर पोषण विविधता को बढ़ावा देने के लिए आँगनवाड़ी केन्द्रों, स्थानीय परिवारों एवं अन्य शासकीय भवनों में ”पोषण वाटिका” का निर्माण किया जायेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण के स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक है कि जन सामान्य को खाद्य विविधता और पोष्टिक तत्वों से अवगत कर जागरूक किया जाय।
पोषण वाटिका के माध्यम से लोगों के समक्ष उनके दैनिक आहार में हरी सब्जियाँ, मौसमी फल आदि के उपयोग को बढ़ाये जाने के लिए प्रेरित किया जायेगा।