आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के कड़ोरों रुपए अधिकारियों ने डकार ली।
मध्यप्रदेश में पोषण आहार मामले में अधिकारियों के एक और बड़े घोटाले का भंडाफोड़ CAG नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने किया है। CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का करीब 3.19 करोड़ रुपए का मानदेय गड़बड़ी कर अधिकारियों ने अपने खातों में जमा कर ली।
विधानसभा में पेश की गई कैग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से 2016 के बीच प्रदेश की राजधानी भोपाल और रायसेन जिले के परियोजना अधिकारियों ने करोड़ों रुपए का मानदेय गलत तरीके से अपने खातों में जमा करवा लिया। साल 2014 से 2016 के बीच आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय की करीब 3.19 करोड़ रुपए की राशि को डाटा एंट्री व कंप्यूटर ऑपरेटरों के साथ ही दूसरे 89 बैंक खातों में जमा कराया गया। जिन खातों में पैसा जमा कराया गया उनमें 9 खाते डाटा एंट्री व कप्यूटर ऑपरेटरों के थे और दो खाते परियोजना कार्यालयों में काम करने वाले दो अन्य लोगों के थे और एक खाता पीओ में काम करने वाले कर्मचारी की बेटी का भी था। बाकी खाते किन लोगों के थे इसके बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।
रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2016 से लेकर अगस्त 2018 तक भोपाल डीपीओ के द्वारा 44 बैंक खातों में 39.61 लाख रुपए जमा कराए जाने का भी जिक्र कैग की रिपोर्ट में है इनमें से 23 खातों में परियोजना अधिकारियों ने भी पैसा जमा कराया है।
रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2016 से लेकर अगस्त 2018 तक भोपाल के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने 44 बैंक खातों में 39.61 लाख रुपए गलत तरीके से जमा किए जिनमें से 23 खातों में परियोजना अधिकारियों ने भी पैसा जमा करवाया। जांच एजेंसी ने बताया कि भोपाल डीपीओ ने बच्चों को दिए जाने वाले फ्लेवर्ड मिल्क का भुगतान 4 लाख 73 हजार रुपए जिस तिथि को किया उसी दिन और क्रमांक से 14 लाख एक हजार रुपयों का भी भुगतान हुआ।
कैग की जांच में ये भी पता चला है कि भोपाल की एक पीओ सुधा विमल का नाम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रुप में दर्ज है जिसे मोतियापार्क में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दर्शाया गया है इतना ही नहीं उसके खाते में बैरसिया, बरखेड़ी, चांदबड़ और गोविंदपुरा के साथ रायसेन के उदयपुरा परियोजना के पैसे जमा कराए जाने का खुलासा हुआ है।