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Motivational Story : जिंदगी जीने के लिए दर्द को सहना ही पड़ता है।

गिद्ध दुनिया का एक ऐसा इकलौता पक्षी होता है जो 70 साल तक जी सकता है।लेकिन इस उम्र तक जिंदा रहने के लिए हर गिद्ध को एक मुश्किल फैसला करना होता है।

क्योंकि 40 साल के बाद गिद्ध के पंजे इतने मजबूत नहीं रह जाते के उससे वह कोई शिकार आसानी से कर सके। दरअसल उसके पंजे कमजोर हो जाते हैं। तीखे चोंच इतने मुड़ जाते हैं के वह काम का ही नहीं रह जाता। यही नहीं उसके पंख इतने मोटो हो जाते हैं कि उसका उड़ान भरना भी मुश्किल हो जाता है।

यह वक्त हर गिद्ध की जिंदगी में आता है। ऐसे वक्त में गिद्ध के पास दो ही विकल्प होते हैं,पहला या तो वह इसे नियति मान कर तड़प तड़प कर मर जाए या वह एक दर्द भरे बदलाव के लिए खुद को तैयार कर ले।

क्या है दर्द भरा बदलाव।

एक गिद्ध की जिंदगी में यह दर्द भरा बदलाव 150 दिन का होता है। जिसके लिए गिद्ध को किसी पहाड़ की चोंटी पर बैठ जाना होता है। और तब तक अपने चोंच को पत्थर पर मारना होता है जब तक की वह टूट कर अलग न हो जाए।चोंच के अलग हो जाने के बाद फिर गिद्ध नई चोच का इंतज़ार करता है। जब नई और तीखी चोंच उग जाती है तब गिद्ध अपने नई तीखी चोंच से बेजान पंजो को उखाड़ देती है। और फिर नए पंजो के उगने का इंतज़ार करती है। जब उसके नुकीले नए पंजे वापस आ जाते हैं तब गिद्ध अपने उन पंजो से पुराने मोटे पंख भी नोच लेती है।ताकि नए और हल्के पंख उग आए। यह पूरा प्रक्रिया 150 दिन में पूरा हो जाता है।

जिंदगी जीने के लिए दर्द को सहना ही पड़ता है।

गिद्ध 150 दिन के दर्द भरे बदलाव की प्रक्रिया के बाद अपने नई जिंदगी के नए उड़ान भरने को तैयार होती है और बाकी के 30 साल की जिंदगी जीना शुरू करती है। मतलब जिंदगी जीने के लिए दर्द को सहना ही पड़ता है।

जानते हो जब बारिस होती है तो सभी पक्षी बारिस से बचने का ठिकाना ढूंढती है लेकिन इकलौता गिध्द है जो बादलों के उपर उड़ान भरने का हौंसला और दम रखती है।

शिक्षा – एक मानसिक रूप से ताकतवर इंसान हर मुश्किल बदलाव को स्वीकार करता है और खुद को मजबूत बना कर कामयाबी की ओर बढ़ता है।न कि जीवन में आए मुश्किल बदलाव से घबराकर ठहर जाता है।

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