
मध्यप्रदेश के जिलों में यदि सड़क हादसे में दो या इससे अधिक मौत हुईं तो अब संबंधित जिले के कलेक्टर-एसपी को मौके पर जाकर क्रैश इन्वेस्टिगेशन करना होगा। बढ़ते सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों को कम करने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धारा 135 का उल्लेख करते हुए यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने भी मप्र शासन को दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक मौके पर पहुंचकर कलेक्टर-एसपी या उनकी टीम को ये देखना होगा कि हादसा सड़क निर्माण की कमी के कारण तो नहीं हुआ। ऐसे सभी हादसे की रिपोर्ट पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (PTRI) को भेजनी होगी।
किन पांच बिंदुओं पर करना होगा इन्वेस्टिगेशन
- सड़क हादसे के कारण का अध्ययन और विश्लेषण?
- यात्रियों की सुख-सुविधा के लिए हाइवे पर बाथरूम, रेस्टरूम और ट्रॉमा सेंटर था या नहीं?
- यातायात चौकियां हाइवे पर हैं या नहीं?
- ट्रक पार्क करने की सुविधा हाइवे पर है या नहीं?
- सड़क के निर्माण की किसी खामी के कारण तो सड़क हादसा नहीं हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पालन कराने के दिए निर्देश।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को सड़क हादसों में कमी लाने और उनमें होने वाली मौतों को 50%तक कम करने के निर्देश वर्ष 2015 में दिए हैं।मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 का उल्लेख करते हुए हादसों का क्रैश इन्वेस्टिगेशन कराने का तभी से निर्देश भी दिया जा रहा है। इसका पालन न होते देख, इसका पालन करते हुए पीटीआरआई ने एक पत्र गृह विभाग को भेजा है। विधि एवं विधायी विभाग से चर्चा के बाद गजट नोटिफिकेशन भी करवाया जाएगा।
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 में सड़क हादसों के मामलों में विवेचना करने और मार्गस्थ सुख-सुविधाओं के लिए स्कीम बनाने का प्रावधान है। उक्त स्कीम को राज्य विधान मंडल के सामने भी प्रस्तुत करना होगा।
लापरवाही साबित हुई तो केस दर्ज होगा
इन्वेस्टिगेशन के दौरान सड़क निर्माण एजेंसी या अन्य किसी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी की लापरवाही की भी विवेचना की जाएगी। यदि लापरवाही साबित होती है,तो संबंधित अफसर के खिलाफ कार्रवाई होगी।
