ग्रीन जोन सिंगरौली जिले में अंततः कोरोना का कहर बरस ही गया।
सिंगरौली जिला कोरेना वायरस से सुरक्षित था इतना ही नही हमारे जिले मे कोरेना वायरस आने के बहुत ही कम संभावना था, लेकिन दिखावे की राजनीति ने वह कर दिखाया जो जिले की जनता कभी उम्मीद ही नही कि थी। जी हाँ दिखावे की राजनीति ने की दूसरे राज्यो से अपने जिले मे कोरेना वायरस लाने मे अहम भूमिका निभाई है।ऐसा इसलिए क्योंकि रेड जोन से जिले में आने वाले और लाने वाले कोरोना से ग्रसित होंगे इस बात को कैसे नज़र अंदाज़ किया जा सकता है। ऐसे में संक्रमण जिले में प्रवेस न करे उसकी पूरी रणनीति तय होनी चाहिए थी। कोरेना वायरस एक ऐसा वायरस है जो शायद ही कभी खत्म हो इतना ही नही इस वायरस का कोई दावा भी अभी तक नहीं बन पाया है,उस वायरस को दिखावे की राजनीति ने अपने वाह-वाही लुटवाने के लिए जिलेवासियों को उस कतार में खड़ा कर दिया जहां अब भय है,मायूसी है।
नियम कानून सिर्फ गरीबो के लिए नेताओ के लिए नही ?
जिले के बाहर से आने वाले सभी मजदूरो एव छात्रों का प्रशासन ने बकायदा जांच करके 14 दिनो के लिए होम कोरंटाइन करना और अगर यह लोग बाहर घूमते मिल गये तो तुरंत इनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज की जाने के नियम का सख़्ती से पालन होना चाहिए था,जिसका अभाव दिखता है। यह बात समझ के परे है के जो नेता रेड जॉन से मजदूरो-छात्रों को लेकर आये थे उन नेताओ का न ही मेडिकल चेकअप हुआ न ही 14 दिनो तक होम कोरंटाइन किया गया,जो चिंताजनक है।
कही अन्य राज्यो से मजदूरो को लाने का फैसला जिलेवासियो को तबाह न कर दे!
अन्य राज्यो से जिले के वासियो को वापस लाने का फैसला गलत तो नही, क्योकि सिंगरौली जिला कोरेना वायरस से सुरक्षित था,लेकिन जब से बाहर से लोगो को लाना शुरू किया गया तब इनलोगों के द्वारा कोरेना ने जिले मे प्रवेश किया,सिंगरौली जिले मे जहां कोरेना वायरस का नामो निशान नही था उसी जिले मे अब कोरेना वायरस 7 मामले हो गए हैं।
अन्य राज्यो से आने वालों का मेडिकल जांच जिले के बीच शहर में क्यों ?
शायद आपने एक कहावत सुनी होगी आ बैल मुझे मार लगता है जिले के जिम्मेदार कोरेना वायरस को बुला रहें है, बाहर से आये लोगो का मेडिकल जांच करने की जगह जिले के बीचों बीच शहर मे बनाया जहां लोगो की आबादी के साथ ही अवागमन बहुत ज्यादा है।
(लेखक पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार है। )