सिंगरौली से शशिकांत कुशवाहा।। भू अधिग्रहण को लेकर जहां क्षेत्र के विकास को लेकर महत्वाकांक्षी योजनाएं शासन प्रशासन के माध्यम से क्रियान्वित करने का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कि बिचौलिए का काम करते हुए शासन कंपनियों को चूना लगाने का कार्य कर रहे हैं मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला औद्योगिक नगरी के रूप में अपनी पहचान बना चुका है आपको बताते चलें कि जिले में कई औद्योगिक घरानों की इकाइयां स्थापित है। ऐसे में लंबे अर्से से जिले में कई ऐसे बिचौलिये भी हैं जो कि किसानों के अधिकार पर मुंह मारने से भी नहीं चूकते हैं
औद्योगिक इकाइयों को करोड़ों रुपए यूं ही लुट जाता है
औद्योगिक क्षेत्र की कंपनी ने जब सिंगरौली में अपनी इकाई स्थापित करने के लिए भूमि चिन्हित करती हैं ऐसे में जिले में हलचल मच जाती है जिसमे की चिन्हित जमीन को, लोगों के द्वारा अवसर के रूप में देखा जाता है और फिर जमीन के दलालों का बोलबाला शुरू हो जाता है रातों रात जमीन पर मुआवजा को लेकर मकान निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और फिर इन बंजर जमीनों पर सैकड़ों की तादात पर मकान खड़े हो जाते हैं गौर करने वाली बात है कि इस पूरे मामले में रेवेन्यू डिपार्टमेंट की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ जाती है बकायदा अवार्ड में नाम शामिल कर लिए जाते हैं और औद्योगिक इकाइयों को करोड़ों रुपए यूं ही लुटाने पढ़ते हैं ।
सरकारी कर्मचारी भी पीछे नहीं
भूमि अधिग्रहण के मुआवजा के इस खेल में सरकारी कर्मचारी अधिकारी भी पीछे नहीं है इस पूरे मामले पर महत्वपूर्ण तथ्य यही है कि एक और जहां इन बिचौलियों के द्वारा औद्योगिक इकाइयों को चूना लगाया जाता है वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी भी इस खेल को आंख बंद करके देखते रहते हैं ऐसे में उनकी भूमिका संदिग्ध हो जाती है ।
जांच होने पर खुल सकते हैं कई राज
भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले में यदि अब तक हुए अधिग्रहण के अवार्ड की जांच की जाए तो इसमें वह बिचौलिए सामने आ सकते हैं जो कि लंबे समय से मुआबजे का खेल खेल रहे हैं और गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है । इसमें बहुत से सफेदपोश लोगों का चेहरा बेनकाब हो सकता है ।
बहरहाल मामला सामने आने के बाद अब ये देखना है कि जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा मामले का संज्ञान लिया जाता है कि नही ये तो आने वाला समय ही बताएगा ।