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टीबी बीमारी से ग्रसित युवक की सफलतापूर्वक इलाज, सीएम ने किया डॉक्टरों की प्रसंसा

भोपाल । मध्य प्रदेश के हमीदिया अस्पताल में मरीज की खांसी में आ रहे खून को रोकने के लिए पहली बार इस तरह की अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया। आपको बता दें की पुराने शहर का रहने वाला जावेद खान करीब 20 दिन से बलगम में खून आने से परेशान होकर क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान में डॉ. निशांत श्रीवास्तव को दिखाया और तमाम उपचार के बावजूद भी वह  ठीक नही हुआ।

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उसके बाद जांच में पता चला कि फेंफड़े में इंफेक्शन के कारण केविटी के आर्टरी में छेद हो गया, जिससे मरीज के फेंफड़ों में खून जमा होने लगा था। ऐसे में जब भी वह खांसता तो मुंह से खून का बलगम आ रहा था। जिसका अस्पताल में बुधवार को जांघ की महाधमनी के रास्ते फेंफड़े की आर्टरी को ठीक कर दिया गया। इस सर्जरी को सफलतापूर्वक करने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हमीदिया अस्‍पताल के चिकित्‍सकों की सराहना करते हुए बधाई दी है।

टीबी के मरीज का इलाज मात्र 15 मिनट में

मरीज की जांच के बाद उसे कार्डियोलाजी विभाग में भेजा गया, जहां विभागाध्यक्ष डा. राजीव गुप्ता और रेडियोडाग्नोसिस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. लवली कौशल ने मरीज का ब्रोंकाइल आर्टरी एम्बुलाइजेशन तकनीक से इलाज करने का निर्णय लिया और उसका इलाज कार्डियोलाजी विभाग की कैथलैब में किया गया।

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डा. लवली कौशल ने बताया कि यह प्रोसीजर इंटरवेंशन रेडियोलाजी विभाग के अंतर्गत किया जाता है। इसमें आर्टरी में तरल पदार्थ या चूर्ण डालकर खून के प्रवाह को रोका जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि मरीज की जांघ की आर्टरी में छोटा सा चीरा लगाकर एक कैथेटर डालकर उसे फेंफडे़ की आर्टरी के पास पहुंचाया गया। यहां खराब जगह पर कैथेटर के माध्यम से तरल पदार्थ डालकर रक्त स्राव को रोका गया। इस प्रक्रिया में मरीज को बिना बेहोश किए 15 मिनट में पूरा प्रोसीजर किया गया।

सीएम शिवराज ने टीबी इलाज के बाद डॉक्टरों की प्रसंसा कर दी बधाई 

सीएम शिवराज ने इस सर्जरी के लिए हमीदिया के डाक्‍टरों को बधाई देते हुए कहा कि सरकारी अस्‍पतालों की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन उनकी उपलब्‍धियों की भी प्रशंसा की जानी चाहिए। हमीदिया अस्‍पताल में पहली बार अत्‍याधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल कर टीबी के मरीजों के इलाज की गई है। जांघ के रास्‍ते फेफड़े में कैथेटर डालकर खून की नली को ठीक किया गया। जिसके लिए मैं डाक्टर राजीव गुप्ता, डा. लवली कौशल और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं!

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