मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश का VIP पेड़, जिसकी सुरक्षा में खर्च होते हैं 15 लाख रुपए सालाना।

  • मध्य प्रदेश का VIP पेड़, जिसकी सुरक्षा में खर्च होते हैं 15 लाख रुपए सालाना।

आपने वीआईपी (VIP) पर्सन के बारे में सुना होगा। जैसे कोई नेता, सेलिब्रिटी या फिर बिरला, टाटा और अंबानी जैसे बड़े उद्योगपति। जिनकी सुरक्षा में गार्ड्स दिन रात लगे रहते हैं। पर क्या आपने किसी पेड़ के बारे में सुना है। जिसकी सुरक्षा मैं गॉड्स लगे हों। जी हां यह बिल्कुल सच है। और ऐसा वीआईपी (VIP) पेड़ कहीं और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में ही है।

मध्य प्रदेश का VIP पेड़ का बौद्ध धर्म में बहुत ही खास महत्व है।

रायसेन जिले में है मध्य प्रदेश का VIP पेड़। राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर यह पेड़ मौजूद है। इस पेड़ की सुरक्षा और देखरेख का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इसकी सुरक्षा व देखभाल में हर साल तकरीबन 15 लाख रुपए खर्च होते हैं।


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मध्य प्रदेश का VIP पेड़ चारों ओर से लोहे की जालियों से घिरा हुआ है। पुलिस या सुरक्षा बल के दो जवान 24 घंटे इस पेड़ की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। सांची नगर पालिका के द्वारा पानी का एक टैंकर केवल इस पेड़ की सिंचाई के लिए आता है। कृषि विभाग की टीम के द्वारा हर हफ्ते या 15 दिन में पेड़ के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। ताकि पेड़ स्वस्थ व हरा भरा रह आइए हम आपको बताते है, कि आखिर यह कौन सा पेड़ है। और क्यों है इतना खास।

साल 2012 में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे भारत दौरे पर आए थे। तब उन्होंने सलामतपुर की पहाड़ी पर एक पेड़ लगाया था। जिसे बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाता है। यह एक पीपल का पेड़ है। बोधि वृक्ष का बौद्ध धर्म में बहुत ही खास महत्व है।

कहां से आया मध्य प्रदेश का VIP पेड़

531 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने अपने बच्चों को बोधि वृक्ष की टहनी देकर बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था। सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा ने वह बोधि वृक्ष श्रीलंका के अनुराधापुरम में लगाया था। जो आज भी वहां मौजूद है।

परंतु भगवान बुद्ध को जिस बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, वह वृक्ष बिहार के गया जिले में स्थित है। 1876 में प्राकृतिक आपदा के कारण यह बोधि वृक्ष नष्ट हो गया। जिसके बाद सन 1880 में लार्ड कनिंघम ने श्रीलंका के अनुराधा पुरम से बोधि वृक्ष की एक टहनी मंगा कर फिर से बोधगया में लगाया। तब से वृक्ष आज तक वहां स्थित है।


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Tauheed Raja

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