There is a successful treatment of vitiligo in homeopathy Dr. Sumit Gupta
सफेद दाग को लेकर लोगों के मन में एक अजीब सा डर है. सिर्फ इतना ही नहीं कई लोग इस बीमारी को छुआछूत, कुष्ठ रोग, पूर्व जन्म का पाप और पता नहीं कई सारे नामों से बुलाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह कोई पूर्व जन्म का पाप नहीं बल्कि आपके शरीर में हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है I आज हम इस बीमारी के बारे मे विंध्यनगर स्थित डॉ. सुमित गुप्ता (BHMS, M.D.) से जानकारी ली जो नैशनल डायमंड होम्यो अवॉर्ड विजेता भी है l
प्रश्न :- ये विटिलिगो (Vitiligo) क्या है ?
डॉ. सुमित गुप्ता :-
विटिलिगो ( लुकोडर्मा ) एक प्रकार का त्वचा रोग है । इस रोग में त्वचा कुछ हिस्सों से अपना सामान्य रंग खो देती है और वहां पर सफेद रंग के धब्बे बन जाते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बड़े होते रहते हैं, जिस कारण से अक्सर लोगों में आत्मसम्मान की कमी हो जाती है। विटिलिगो त्वचा के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है और कुछ मामलों में यह बालों व मुंह की अंदरूनी त्वचा को भी प्रभावित कर देता है। जब किसी भी व्यक्ति के शरीर में ‘मेलेनोसाइट्स’ यानी स्किन का रंग बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती है तो उसे ‘ल्यूकोडर्मा’ या ‘विटिलिगो’ या सफेद दाग की बीमारी हो जाती है l अक्सर देखा गया है की जिन व्यक्तियों को थायराइड की प्रॉब्लम होती है. उन्हें भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है l
प्रश्न :- क्या सफेद दाग की बीमारी सही हो सकती है ?
डॉ सुमित गुप्ता:-
सही इलाज से नई दाग बनने बंद हो जाते हैं और पुराने दाग भी ठीक हो जाते है l हमने कई पैशन्ट होम्योपैथी की दवाओ के सही इस्तेमाल से ठीक किये है l दूर दराज के मरीज़ भी इसका इलाज़ कराने पहुँचते है, जैसे सतना निवासी तनिश खान का शरीर लगभग 80 प्रतिसत तक सफेद हो चुका था जो की होम्योपैथी के सही उपचार से मात्र 20 प्रतिसत ही रह गया है l
विटीलिगों के वो मरीज जिनकी उम्र बहुत ज्यादा है, उनके ठीक होने की संभावना बहुत काम होती है l सफेद दाग शरीर मे दिखने के साथ ही बिना देरी किए इसका होम्योपैथीक इलाज़ शुरू कर देना चाहिए ताकि ये बीमारी कम समय मे सही हो सके l
प्रश्न :- सफेद दाग या विटिलिगो के शुरुआती लक्षण क्या है ?
डॉ. सुमित गुप्ता :-
सफेद दाग के शुरुआती लक्षणों में है स्किन का रंग जगह- जगह फीका पड़ जाना या सफेद पड़ना। इसकी शुरुआत सबसे पहले होती है हाथ, पैर, चेहरा, होंठ. यह ऐसी जगह है जहां डायरेक्ट सूरज की रोशनी पड़ती है। बाल का रूखा होना, दाढ़ी और आईब्रो का रंग उड़ जाना या सफेद हो जाना। आंख के रेटिना की परत का रंग फीका पड़ जाना। मेडिकल साइंस की भाषा में बोले तो यह बताना मुश्किल है कि सफेद दाग का रोग एक बार हो जाने के बाद कितना बढ़ सकता है l
प्रश्न :- विटिलिगो कितने प्रकार के होते है ?
डॉ. सुमित गुप्ता :-
विटिलिगो को अलग-अलग प्रकारों में बांटा गया है, जिनमें निम्न शामिल हैं –
जनरलाइज्ड – यह विटिलिगो का सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें शरीर के कई हिस्सों पर विटिलिगो के धब्बे (मैक्यूल) दिखाई देते हैं।
सेगमेंटल – इसमें शरीर के किसी विशेष हिस्से पर ही सफेद धब्बे बनते हैं, जैसे हाथ या पैर।
म्यूकोसल – यह आमतौर पर शरीर के उन हिस्सों में होता है, जहां पर म्यूकस मेम्बरेन होती है जैसे मुंह व जननांग।
फोकल – यह विटिलिगो का एक दुर्लभ प्रकार है, इसमें सफेद धब्बे शरीर के किसी छोटे हिस्से पर होते हैं और कई सालों तक उसी आकार में रहते हैं।
यूनिवर्सल – यह भी विटिलिगो का एक दुर्लभ प्रकार है, जिसमें शरीर का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा विटिलिगो से प्रभावित हो जाता है।
प्रश्न :- कैसी स्तिथियों मे सफेद दाग होने का खतरा बढ़ जाता है ?
डॉ. सुमित गुप्ता :-
कुछ स्थितियां हैं, जिनमें विटिलिगो होने का खतरा बढ़ जाता है जैसे
परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को विटिलिगो होना
परिवार में अन्य किसी व्यक्ति को प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी समस्या होना
शारीरिक व मानसिक तनाव होना
त्वचा का कोई घाव लंबे समय तक धूप के संपर्क में आना
त्वचा किसी रसायन के संपर्क में आना
प्रश्न :- हम ये कैसे पता लगाए की हमें विटिलिगो हो गया है ?
डॉ. सुमित गुप्ता :-
सफेद धब्बों की जांच करके डॉक्टर आसानी से इस रोग का पता लगा लेते हैं। हालांकि, स्थिति की पुष्टि करने के लिए “वुड लैंप” नामक एक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। वुड लैंप में पराबैंगनी किरणों की मदद से विटिलिगो के धब्बों की पहचान की जाती है।
इसके अलावा स्किन बायोप्सी व अन्य कुछ टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि विटिलिगो के साथ कोई अन्य रोग तो नहीं हैं।
प्रश्न :- सफेद दाग होने के बाद शरीर में क्या गंभीर परिणाम हो सकते है ?
डॉ. सुमित गुप्ता :-
भारतीय समाज में सफेद दाग की बीमारी को छुआछूत से जोड़कर देखा जाता है। जिसकी वजह से इसके मरीज है उन पर एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी की वजह से सनबर्न और स्किन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। सफेद दाग शरीर पर कई तरह के प्रभाव डालता है। जैसे- आंखों में दिक्कतें शुरू होना। आइरिस में जलन के साथ-साथ सूजन।
Dr Sumit Gupta (MD Hom.)
डॉ. सुमित गुप्ता
M.D.(Hom)
नैशनल डायमंड होमिओ अवॉर्ड विनर
श्री स्वास्तिक होमिओपैथी , विंध्यनगर