कानपुर में डीएसपी समेत 8 पुलिस वाले शहीद हो गए है। पुलिस की ये टीम कुख्यात बदमाश विकास दुबे की तलाश में गई थी, तभी दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस पार्टी पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
राज्य के पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया, “कानपुर के एक शातिर अपराधी और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के यहां दबिश डालने के लिए पुलिस चौबेपुर थाना क्षेत्र के दिकरू गांव गई थी। पुलिस को रोकने के लिए इन्होंने पहले से ही जेसीबी लगाकर रास्ता रोक रखा था।”
“पुलिस दल के पहुंचते ही बदमाशों ने छतों से फ़ायरिंग शुरू कर दी, जिसमें पुलिस के 8 लोग शहीद हो गए. इसमें एक डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्र, तीन सब इंस्पेक्टर और चार कॉन्स्टेबल हैं। घटनास्थल पर एडीजी क़ानून व्यवस्था पहुँच रहे हैं। एसएसपी और आईजी मौक़े पर हैं। कानपुर की फ़ोरेंसिक टीम जाँच कर रही है. एसटीएफ़ भी लगा दी गई है।”
कौन है ये विकास दुबे जिसने यूपी पुलिस को इस तरह से खुली चुनौती दे दी है?
राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप सहित 60 आपराधिक मामले
विकास दुबे पर 2001 में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप है। इस जघन्य हत्याकांड को कानपुर में थाने के समाने ही अंजाम दिया गया था। इस हत्याकांड के 16 साल बाद विकास को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। लेकिन पिछले साल उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। बाहर निकलते ही विकास ने फिर से आतंक मचाना शुरू किया। 2019 अगस्त में पुलिस ने उसे सड़क टेंडर को लेकर धमकी देने के आरोप में हिरासत में लिया था।
2000 – कानपुर के शिवली में एक कॉलेज के असिस्टेंट मैनेजर सिद्धेश्वर पांडे की हत्या का आरोप
2000 – रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास पर साजिश रचने का आरोप
2001 – राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की थाने के बाहर हत्या का आरोप
2004 – केबल कारोबारी दिनेश दुबे की हत्या का विकास आरोप
जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचायत चुनाव जीत चुका है। प्रधान रह चुका है। कहा जाता है कि विकास की पहुंच राज्य की हर पार्टी में है। ये भी गौर करने वाली बात है कि इतने कुख्यात बदमाश जिसके अपराध का इतना लंबा इतिहास है उसपर सिर्फ 25000 रुपए का इनाम था।