उत्तर प्रदेश में नौकरी की तलाश कर रही महिलाओं के लिए अच्छी खबर है। अब उनके गांव में ही उन्हें रोजगार मिल सकेगा। उत्तर प्रदेश में करीब 66 लाख महिलाओं अगले 6 साल में रोजगार देने वाली योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दे दी है।
उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं को रोजगार मुहैया कराकर राज्य में अपने आधार को मजबूत करेगी। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन मुख्यमंत्री की यह मंशा पूरी करेगा। इसके लिए विभाग ने महिला सशक्तिकरण के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अगले पांच सालों में करीब 66 लाख महिलाओं को नए समूहों से जोड़ते हुए उन्हें रोजगार से जोड़ेगी महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए पांच साल के अंदर राज्य में 5 लाख 50 हजार 868 नए आजीविका समूहों का गठन किया जाना है। इसके जरिए महिलाओं को उनके गांव-घर में ही रोजगार मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से उक्त योजना हरी झंडी मिल गई है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा 66 लाख महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के इस वृहद लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे पाने के लिए लक्ष्य को टुकड़ों में विभक्त किया गया है। इसके लिए छह माह, एक साल, दो साल और पांच साल में क्रमश: कितने समूह गठित किए जाएंगे, यह तय करते हुए इसे बांट दिया गया है।
यह लक्ष्य पूरा होने पर ग्रामीण परिवारों में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सीधे घर परिवार के साथ ही गांव और राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने लगेगा। एक समूह में न्यूनतम 10 से 14 महिलाएं शामिल की जाती हैं। यदि प्रति समूह 12 महिलाएं मानें तो पांच साल में जो नए समूह बनाए जाएंगे, उससे सीधे तौर पर 66 लाख 10 हजार 416 महिलाएं जुड़ेंगी।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के निदेशक भानु चंद्र गोस्वामी के अनुसार, राज्य में अभी 4 लाख 81 हजार 793 स्वयं सहायता समूह ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इनमें से 3 लाख 54 हजार 489 समूहों को समूह की गतिविधियां शुरू करने के लिए अब तक चरणबद्ध तरीके से 531.73 करोड़ रुपये रिवाल्विंग फंड के रूप में दिए जा चुके हैं। और 2 लाख 85 हजार 913 समूहों को कम्युनिटी निवेश फंड मुहैया कराने के साथ ही इन समूहों से जुड़ी महिलाओं को आजीविका संबंधी गतिविधियों से जोड़ दिया गया है।
समूहों की महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों को संबल प्रदान करने के लिए सरकार ने महिला समूहों को कई अहम योजनाओं से जोड़ने का काम किया है, जिनमें प्रमुख रूप से बीसी सखी, पुष्टाहार निर्माण इकाई, उचित दर की दुकानों का आवंटन, सामुदायिक शौचालय का प्रबंधन, बिजली बिल कलेक्शन, ओजस (सोलर उत्पाद), आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना, मनरेगा में सहभागिता, स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम, ड्राइ राशन का वितरण, महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना, फार्म वैल्यू चेन परियोजना आदि हैं। इसके अलावा ये महिलाएं अपनी सुविधा और रुचि के मुताबिक अन्य कई तरह के काम कर रही हैं।
गोस्वामी का दावा है कि हर गांव में महिला समूह अब सक्रिय होकर रोजगार कर रहे हैं। महिला समूह में कार्य कर रहीं महिलाएं रोजगार पाने के लिए राज्य सरकार का आभार भी जता रही हैं।