वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी, ‘सुफलाम’ के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। उन्होंने आजादी के 75वें वर्ष पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव में हासिल की गई उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने चीन की वैक्सीन को फेल बताते हुए, भारत की वैक्सीन की सफलता की सराहना की। साथ ही भारत में जी20 सम्मेलन के आयोजन को देश के लिए गौरव और गंगाजल को निर्मल व आचमन योग्य बनाने को सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि मॉरीशस के पीएम ने भी 400 लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ यहां डुबकी लगाई और कहा कि अब लुप्त डॉलफिन भी गंगा में दिखने लगी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
भारत की वैक्सीन ने बचाईं करोड़ों जानें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना काल में जहां दुनिया इस बीमारी से स्तब्ध व निसहाय थी, वहीं भारत ने अपनी 140 करोड़ जनता के लिए कार्य करते हुए उनकी जान बचाने का काम किया। पूरी दुनिया ने भारत की इस उपलब्धि को सलाम किया है। उन्होंने कहा कि चीन की वैक्सीन फेल हो गयी, लेकिन भारत की 2 महत्वपूर्ण वैक्सीन ने करोड़ों लोगों की जान बचाने का काम किया।
विश्व को दिखाएं काशी की कला की झलक
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि दो सौ वर्षों तक ब्रिटेन ने हम पर राज किया लेकिन आज अर्थव्यवस्था के मामले में भारत ने उसे पछाड़ कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का काम किया है। इस वर्ष 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी-20 देशों का नेतृत्व करने का गौरव भारत को प्राप्त हुआ है। इन देशों की आबादी विश्व की कुल आबादी के 60 प्रतिशत के बराबर है। इन 20 देशो के पास दुनिया का 75 प्रतिशत ट्रेड है, 85 प्रतिशत जीडीपी है, 90 प्रतिशत पेटेंट है। इन देशों के लिए नीति बनाने का काम भारत करेगा। जी-20 के कुछ सम्मेलन काशी में भी होंगे, जिसमें उन देशों के प्रतिनिधि यहां आयेंगे। यह समय है कि हम उन देशों के प्रतिनिधियों के सम्मुख अपनी कला, संस्कृति व विरासत को प्रस्तुत कर विश्व में अपनी पहचान को मजबूती प्रदान करें।
डबल इंजन सरकार ने खोले विकास के रास्ते
मुख्यमंत्री ने मां गंगा की स्वच्छता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक समय था जब गंगा में डुबकी लगाने पर त्वचा रोग हो जाता था, लेकिन आज गोमुख से लेकर उत्तर प्रदेश होते हुए बंगाल तक गंगा पूरी तरह साफ ही नहीं हुई बल्कि आचमन के योग्य भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार काम करती है तो विकास के रास्ते भी खुलते है और सुखद परिणाम स्वत: आने लगते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें पूरी ईमानदारी के साथ संपूर्ण जगत के लिए काम करना होगा।
धरती मां की सेहत से नहीं होगा खिलवाड़
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमें पंचतत्वों की रक्षा करनी है। धरती हमारी मां है और हम सब उनके पुत्र है। एक पुत्र की भांति जो कर्तव्य बनता है उसे पूरा करने के लिए हम सभी को तत्पर रहना होगा। किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान धरती और जल का ही हुआ है, धरती माता के साथ खिलवाड़ गलत है, जो हर हाल में बंद होना चाहिए। इसके लिए यह जरूरी है कि रसायन युक्त खेती की जगह गौ आधारित प्राकृतिक खेती की जाए।
प्राकृतिक खेती के लिए किया प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में कहा कि गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में प्रकृतिक खेती करेंगे जिसमे बुंदेलखंड के भी 7 जिले होंगे। इसके लिए प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्रों को इससे जोड़ा है। प्राकृतिक खेती और रासायनिक खेती की तुलना करने पर पाया गया कि 1 एकड़ में 12 से 15 हजार की बचत होती है।
किसानों की आय बढ़ाना है सरकार का उद्देश्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसानो के लिए अनेक कार्यक्रम चल रहे है। सरकार का उद्देश्य किसानो की आय को दोगनी करना है, जिसमें लागत कम हो और उत्पादन ज्यादा हो। प्राकृतिक खेती के लिए नेशनल मिशन तैयार हो चुका है जिस पर प्रभावी ढंग से कार्यक्रम आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि गोरखनाथ मंदिर कृषि फॉर्म में किए गए प्राकृतिक खेती के परिणाम रसायनिक खेती की तुलना में बहुत अच्छे रहे हैं।
कृषि उत्पादों का सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग भी करेगी सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पैदावार के सर्टिफिकेशन की इच्छा जताते हुए कहा कि बीज और प्राकृतिक खेती के उत्पादों का सर्टिफिकेशन किया जाएगा, इसके लिए अलग से लैब होगा। वाराणसी समेत 8 अन्य जनपदों में भी लैब स्थापित की जा रही है। हर कमिश्नरी मुख्यालय के मंडी समिति में प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए आउटलेट स्थापित कर दिया है, प्रदेश में 79 कृषि विज्ञान केंद्र है, 6 कृषि विश्वविद्यालय हैं। ये प्राकृतिक व जैविक उत्पाद के सर्टिफिकेशन के लिए अपनी लैब तैयार करेंगे, जिसे राज्य सरकार अनुदान देगी, फिर सरकार इन उत्पादों की मार्केटिंग भी करेगी।