वाराणसी।। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि दीपावली पर चन्द सेकेण्ड के धमाकों व तेज रोशनी के लिए की जाने वाली आतिशबाजी से निकलने वाले जहरीले धुंएँ में कई तरह के खतरनाक रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं, जो पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही शरीर को भी नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके धुएं में मौजूद कैडमियम फेफड़ों में आक्सीजन की मात्रा को कम करता है, इसके अलावा इसमें मौजूद सल्फर, कॉपर, बेरियम, लेड, अल्युमिनियम व कार्बन डाईआक्साइड आदि सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए पटाखे से दूर रहें, छोटे बच्चों को अकेले में पटाखे ना जलाने दिए जायें, हमेशा अभिभावक साथ में रहें| उन्होंने बताया की पटाखों से निकलने वाला धुआं वातावरण में नमी के चलते बहुत ऊपर नहीं जा पाता है, जिससे हमारे इर्द-गिर्द रहकर सांस लेने में परेशानी, खांसी आदि की समस्या पैदा करता है, दमे के रोगियों की शिकायत भी बढ़ जाती है।
धुंए के कणों से सांस मार्ग और फेफड़ों में पहुँच जाने पर ब्रानकाइटिस और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है, यह धुआं सबसे अधिक त्वचा को प्रभावित करता है, जिससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि निकल सकते हैं, पटाखे की चिंगारी से त्वचा जल सकती है, पटाखों से निकलने वाली तेज रोशनी आँखों को भी नुकसान पहुंचाती है। इससे आँखों में खुजली व दर्द हो सकता है, आँखें लाल हो सकती हैं और आंसू निकल सकते हैं, चिंगारी आँखों में जाने से आँखों की रोशनी भी जा सकती है। पटाखों का तेज धमाका कानों पर भी असर डालता है, इससे कम सुनाई पड़ना या बहरेपन की भी दिक्कत पैदा हो सकती है, आतिशबाजी के बाद नाक, मुंह व आँख को कदापि न छुएं और अच्छी तरह से साबुन-पानी से हाथ को धुलें।
अस्पतालों को भी किया गया अलर्ट
दीपावली पर अस्पतालों को भी अलर्ट किया गया है कि आतिशबाजी से किसी भी तरह की दुर्घटना होती है तो अस्पताल पहुँचने वालों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए जरूरी इंतजाम पहले से कर लिए जाएँ। आकस्मिक सेवाओं को भी सुचारू बनाए रखें क्योंकि प्रत्येक वर्ष दीपावली पर पटाखे से हाँथ जलने तथा श्वांस रोगियों के आकस्मिक रूप से आने की संभावनायें बनी रहती हैं, इसलिए सतर्क रहें।