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सरकार से उम्मीद छोड़ बैठी जनता ने खुद बनाया शिक्षा का मंदिर

देश की सरकार जन कल्याण और विकास के चाहे कितने भी बड़े-बड़े दावे कर लें, लेकिन हर जगह ऐसी तस्वीरें हैं जो एक अलग ही माहौल की बयां करती हैं। लेकिन कागजों पर हकीकत जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग है। ऐसा ही नजारा मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में देखने को मिल रहा है। आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले के मानपुर जनपद के कसेरू गांव के सरिया क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा बनाई गई झोपड़ी में शासकीय प्राथमिक विद्यालय का संचालन किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, उमरिया जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर कशेरू गांव मानपुर विकासखंड के अंतर्गत आता है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में पतौर कोर एरिया की वन सीमा से घिरा हुआ है। जंगली गांव होने के कारण अक्सर किसानों के खेतों में बाघ रहते हैं। ऐसे संवेदनशील इलाके में पिछले नौ वर्षों से गांव के बच्चों को शिक्षा के लिए मुकम्मल भवन तक नहीं मिल पा रहा है। आपको बता दे  यहां एक-दो नहीं, पहली से पांचवीं कक्षा तक के 36 से अधिक गरीब बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश 20वीं सदी में विकास की नई कहानी लिख रहा है। देश विश्व पटल पर नए कीर्तिमान हासिल कर खुद को विश्व गुरु की श्रेणी में स्थापित कर रहा है। वहीं, देश के शिक्षण संस्थानों की हालत क्या है, ये अधिकारियों के लिए बड़ा सवाल है।

यहां कोई सरकारी भवन नहीं होने के कारण जिम्मेदार शिक्षक करीब 8-9 वर्षों से गांव के ही दया राम सिंह के घर पर बच्चों को पढ़ा रहे थे। हम आपको बता दें कि हाल ही में गणतंत्र दिवस पर गांव के लोगों ने मिलकर एक नई झोपड़ी में स्कूल बनाया है। यहां बच्चों ने पढ़ाना भी शुरू कर दिया है।

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Tauheed Raja

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