
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए लोकसभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा, हम जानते हैं कि यह अर्जी क्यों दी गई है? आप आभारी रहें हम आपको दंडित नहीं कर रहे हैं।
दायर याचिका में क्या कहा गया ?
यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट की वकील सीआर जया सुकिन ने याचिका दायर में कहा की भारत सरकार ने उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है, ऐसा करना संविधान का असम्मानजनक है। उन्होंने याचिका में कहा है कि संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन राज्य सभा और लोकसभा शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे, इस विषय पर 21 विपक्षी दलों ने भी उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान किया और एनडीए के तत्वों सहित 25 दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेने की घोषणा की है।
उद्घाटन को लेकर कौन-कौन सी पार्टी है खिलाफ ?
21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। जिसमें कांग्रेस, DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे पार्टी), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (MANI), विदुथलाई चिरुथिगल काची, रालोद, TMC, जदयू, NCP, CPI (M), आरजेडी, एआईएमआईएम, एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं।
ये पार्टियां स्वीकार कर ली न्योता
बीजेपी, शिवसेना (शिंदे दल), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल – सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, एआईएडीएमके, एजेएसयू (झारखंड), मिजो नेशनल मोर्चा, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बसपा, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं।