श्रवण कुमार नाम संभवतः भारत में हर कोई जनता होगा। जी हां वही श्रवण कुमार जो अपने अंधे मां-बाप को कंधे पर बैठाकर चार धाम की यात्रा कराया था। और आज भी गर्भवती महिला को आशीर्वाद देते हुए कहा जाता है तुम्हें अल्लाह श्रवण पुत्र दे। आधुनिक वक्त में श्रवण पुत्र की चाह पूर्ण होना नामुमकिन सा लगता है, मगर राजस्थान के उदयपुर में रहने वाले दो भाईयों ने अपने काम से यह साबित कर दिया कि मौजूदा वक्त में भी श्रवण कुमार बनना संभव है।
जानकारी के मुताबिक दोनों भाईयों की उम्र लगभग 8 साल और 6 साल है। ये दोनों राजस्थान के उदयपुर जिले के अदवास गांव के रहने वाले हैं।
उनकी मां की तबियत अचानक ख़राब हो गई। दुर्भाग्य से उसके परिवार के पास उसे अस्पताल तक ले जाने का कोई साधन नहीं था। ऐसे में 2 नन्हें बेटे आगे आए और अपनी बूढ़ी मां को ठेले पर बैठाकर तीन किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर गए। ऐसे में उन्हें 21वीं सदी का श्रवण कुमार कहना गलत नहीं होगा। उनके इस काम की चर्चा पूरे शहर में हो रही है।